चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

Meaning
चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए मुहावरे का अर्थ (chamdi jaye par damdi na jaye muhavare ka arth) – घोर कंजूस होना

चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए का अर्थ बताइए

दोस्तों मृत्यु के समय हमारे साथ कुछ नहीं जाता – परिवार, धन, संपत्ति आदि सब यही छोड़ना पड़ता है फिर भी कुछ लोग बड़े कंजूस होते हैं वह पैसे ऐसे बचाते हैं जैसे मानो सब अपने साथ ही लेकर जाएंगे  मृत्यु के बाद

ऐसे कंजूस लोगों के लिए ही यह मुहावरा “चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए” बना है

चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए का वाक्य प्रयोग

वाक्य – मोहन तीस रूपए के ऊपर खाने-पीने में खर्चता ही नहीं। ऐसे तो उसका स्वास्थ्य नष्ट हो जाएगा। उसकी तो वही हाल है चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए।

वाक्य – आठ महीने हो गए लेकिन गर्दन के गठिया का इलाज नहीं करवाया। तुम्हारी तो वही हाल है “चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए”।

वाक्य – अतिथि जब घर आते हैं तब राकेश एक पैसा नहीं खर्चता उसका तो वही हाल है “चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए”।

वाक्य – बालक कंप्यूटर मांग रहा है मगर उसका पिता पैसा बचाने के लिए बालक को मना कर रहा है। बालक कैसे पढ़ाई करेगा। “चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए”।

वाक्य – सारे जगह से फटी चप्पल को वो सिलाने चला गया। कितनी बार बोला कि नई खरीद लो लेकिन इसकी चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए।

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