सैंया भए कोतवाल अब डर काहे का पर टिप्पणी
कहावत में शब्दों का मतलब
कोतवाल – मेन पुलिस स्टेशन का अधिकारी या इंचार्ज जिसके नीचे कई थाने होते हैं।
सैया – पति
कहावत का सीधा अर्थ बनता है “जब पति कोतवाल हो या बड़ा अधिकारी हो फिर किसी से क्या डरना”।
इसका भावार्थ बनता है कि कोई व्यक्ति जिसका संबंध किसी बड़े आदमी से है तो वह निर्भय हो जाता है और दूसरे लोगों का अनुचित लाभ भी उठाता है।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण है ऐसा व्यक्ति जिसका संबंधी राजनीतिक दल से हो। ऐसे लोग हर सही-गलत काम निर्भय होकर करते हैं और जब पकड़े जाते हैं पुलिस के द्वारा तो धमकाते हुए कहते हैं हम MLA के परिवार से हैं, हम MP के परिवार से हैं वगैरा-वगैरा, हमारे मुंह मत लग।
सैंया भए कोतवाल अब डर काहे का वाक्य प्रयोग
वाक्य – रेखा का पति थानेदार है इसलिए बड़ा अकड़ कर चलती है। सैंया भए कोतवाल, अब डर काहे का।
वाक्य – रमेश पर स्मगलिंग का आरोप लगा था मगर उसका मामा एमएलए(MLA) होने के कारण वह छूट गया आखिर “सैंया भए कोतवाल तब डर काहे का”।