दूध की मक्खी होना पर टिप्पणी
ग्रामीण क्षेत्रों में यदि खाने-पीने के पदार्थ जैसे दूध में मक्खी पड़ जाए तो लोग उसे निकाल फेंकते हैं जैसे कोई तुच्छ चीज हो इसी प्रकार दूध की मक्खी होना मुहावरे का मतलब तुच्छ व्यक्ति होना होता है.
दूसरी ओर आजकल के जमाने में खासकर शहरों में यदि खाने पीने की वस्तुओं जैसे दूध में मक्खी तो दूर की बात है अगर बाल भी पड़ जाए तो लोग नहीं पीते और पूरा दूध ही फेंक देते हैं परंतु यह मुहावरा आज भी ग्रामीण क्षेत्र में सही है
दूध की मक्खी होना का वाक्य प्रयोग
वाक्य – हमें अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए दूसरों को दूध की मक्खी नहीं समझना चाहिए
वाक्य – एक बार मेरा काम सिद्ध हो जाए फिर मैं उसे दूध की मक्खी की तरह छोड़ दूंगा
वाक्य – रोड के किनारे बैठे भिखारियों और मांगने वाले को आम लोग दूध की मक्खी से ज्यादा नहीं समझते
वाक्य – सब नौकरों में योगेश सबसे आलसी था इसलिए सेठ ने उसे दूध की मक्खी की तरह बाहर निकाल दिया
वाक्य – बीमारी से ग्रसित रमेश तो परिवार में दूध की मक्खी के समान है