डूबते को तिनके का सहारा लोकोक्ति का अर्थ, वाक्य प्रयोग और कहानी

What is the Meaning
डूबते को तिनके का सहारा का अर्थ (doobte ko tinke ka sahara ka arth) – विपत्ति के काल में छोटी सहायता भी काफी होती है

डूबते को तिनके का सहारा टिप्पणी

यह एक कहावत है ना कि मुहावरा जिसका मतलब होता है कि कठिनाई के समय तुच्छ से तुच्छ सहायता भी बहुत अधिक होता है. इसके पीछे कहानी भी है जिसको आप अवश्य पढ़िएगा.

यदि आप नाव या जहाज से पानी में डूबने लगे परंतु आपको एक छोटा सा लकड़ी का टुकड़ा या बक्सा भी मिल जाए तो भी आपके बचने की गुंजाइश काफी है. उसी प्रकार भारी विपत्ति के समय छोटी से छोटी भी सहायता मिल जाए तो भी बहुत है.

In English this proverb means “A little and timely help to the needy can produce miracles”.

डूबते को तिनके का सहारा का वाक्य प्रयोग (sentence)

वाक्य – दीन हीन व्यक्ति के लिए भगवान् का चिंतन ऐसे है जैसे डूबते को तिनके का सहारा 

वाक्य – गाड़ी का बीमा करा रखा था वरना हाथसे मैं तो गाड़ी गई ही थी, डूबते को तिनके का सहारा

वाक्य – कोरोना काल में हम किसी तरह जान माल बचा पाए, हमारी तो वैसे ही हालत थी जैसी डूबते को तिनके का सहारा

वाक्य – बूढ़े पंकज का इस दुनिया में कोई नहीं सिर्फ एक बेटा है, आखिर डूबते को तिनके का सहारा

डूबते को तिनके का सहारा अकबर-बीरबल की कहानी

मुगल बादशाह अकबर के दरबार में बीरबल नाम के एक मंत्री थे. वह बड़े बुद्धिमान थे. गर्मी के दिन थे. अकबर अपने कुछ दरबारियों के साथ नौका में सैर करने निकल गए. बीरबल भी उनके साथ थे. नाव जब बीच नदी में पहुंची, तो अकबर ने एक तिनका दिखा कर कहा कि जो भी इस तिनके के सहारे नदी पार करेगा मैं उसे 1 दिन के लिए बादशाह बना दूंगा.

जो नदी पार नहीं कर पाएगा उसे मृत्युदंड दिया जाएगा. बादशाह की बात सुनकर सभी चुप हो गए. बादशाह ने बीरबल की ओर देखा. बीरबल ने कुछ पूछते हुए बादशाह से कहा आप मुझे पहले बादशाह बनाइए फिर मैं तिनके के सहारे नदी पार कर लूंगा.

बादशाह ने कहा ठीक है मैं तुम्हें आज के लिए बादशाह बनाता हूं. बीरबल ने बादशाह से तिनका ले लिया जैसे ही वह नदी में कूदने के लिए तैयार हुआ बादशाह के अंगरक्षक ने उसे पकड़ लिया.

बीरबल कहते रहे कि मुझे नदी में कूदने दो मुझे नदी में कूदने दो किंतु  अंगरक्षक नहीं माने. उन्होंने कहा आप बादशाह है आपकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है हम आपको अपनी जान जोखिम में नहीं डालने देंगे. इसी वाद-विवाद में नौका दूसरे किनारे तक पहुंच गई. 

अकबर ने बीरबल से कहा बीरबल आप शर्त हार गए अब आपको मौत की सजा दी जाएगी. बीरबल ने कहा मैं तो इस तिनके के सहारे ही नदी पार कर आया हूं. यदि यह मेरे पास ना होता तो अंगरक्षक मुझे कूदने से भला क्यों  रोकते. मैं तो नदी में डूब जाता. 

बादशाह इन बुद्धिमत्ता पूर्ण उत्तर से प्रसन्न हुए और बीरबल को इनाम में ढेर सारी सोने की मुद्रा दी.