नेकी कर दरिया में डाल कहावत पर टिप्पणी
हम सब कर्म फल के चक्र को जानते हैं – जो जैसा करता है वह वैसा पाता है।
कई लोग इसी सिद्धांत के कारण पुण्य के लोभ से बहुत सत्कर्म जैसे दान आदि करते हैं किंतु जब उन्हें फल नहीं मिलता तब वह दुखी हो जाते हैं इसलिए हमे सत्कर्म बिना फल की अपेक्षा के करना चाहिए और “नेकी कर, दरिया में डाल” का भी यही मतलब है।
गीता में श्री कृष्ण कहते हैं – “कर्म करो और फल की चिंता मत करो”।
नेकी कर दरिया में डाल पर वाक्य प्रयोग
वाक्य – शंभू ने अपने बेटों को खूब पढ़ा लिखा कर विदेश भेज दिया मगर अब वह शंभू को भूल गए। सच है भैया “नेकी कर, दरिया में डाल”।
वाक्य – राम रिश्तेदारों की भाग भागकर मदद करता है लेकिन खुद कभी किसी से मदद नहीं मानता। उसका सिद्धांत है “नेकी कर, दरिया में डाल”।
वाक्य – सुरेश पुण्य के लोभ से बहुत दान आदि सत्कर्म करता है। उसे देख पिताजी बोले “नेकी कर, दरिया में डाल”।
वाक्य – नेकी कर दरिया में डाल ऐसा तो कोई संत महात्मा ही कर सकता है।