होनहार बिरवान के होत चिकने पात कहावत का क्या अर्थ है और वाक्य

Meaning
होनहार बिरवान के होत चिकने पात का अर्थ (honhar birwan ke hot chikne paat ka arth) – जो महान होते हैं उनकी प्रतिभा बचपन में ही दिख जाती है

होनहार बिरवान के होत चिकने पात पर टिप्पणी

यहां एक कहावत है ना कि मुहावरा।

“पात” शब्द का अर्थ पत्ते होता है।

एक छोटा पौधा जो फिलहाल में ही बीज से अंकुरित हुआ है यदि आप ऐसे पौधे के पत्तों को छुए तो आप पाएंगे कि पत्ते चिकने हैं। 

जिस प्रकार एक पौधा आगे जाकर विशाल पेड़ बनता है उसी तरह एक महान व्यक्ति की पहचान उसके बचपन में ही की जा सकती है। ऐसे व्यक्ति बचपन से ही गुणों का प्रदर्शन करने लगते हैं।

उदाहरण के तौर पर स्वामी विवेकानंद बचपन से ही शास्त्र के ज्ञाता, संगीत आदि कलाओं में निपुण और तीक्ष्ण बुद्धि वाले थे। आगे चलकर वह एक महापुरुष बने यह हम सब जानते हैं।

होनहार बिरवान के होत चिकने पात का वाक्य

वाक्य – चंद्रगुप्त को देखकर चाणक्य ने कहा यही होगा अखंड भारत का भावी राजा क्योंकि होनहार बिरवान के होत चिकने पात

वाक्य – स्वामी विवेकानंद बचपन से ही ज्ञानी, बुद्धिमान और अनेक कलाओं में निपुण थे इसलिए कहा गया है होनहार बिरवान के होत चिकने पात

वाक्य – शर्मा जी बोले मेरा बेटा बड़ा आदमी बनेगा तब गुप्ता जी बोले क्यों? शर्मा जी ने उत्तर दिया “होनहार बिरवान के होत चिकने पात”

वाक्य –  तुलसीदास ने जन्म होते ही राम नाम का उच्चारण किया था, आखिर होनहार बिरवान के होत चिकने पात