कौआ चला हंस की चाल पर टिप्पणी
यह कहावत मनुष्य के ईर्ष्यालु मन की ओर संकेत करता है। पूरी कहावत है “कौवा चला हंस की चाल, अपनी चाल भी भूल गया”।
इसका अर्थ है ईर्ष्या के कारण जो व्यक्ति दूसरों की नकल करने की मूर्खता दिखाते हैं अंत में उन्हें ही हानि होती है। अक्सर व्यक्ति अपने से श्रेष्ठ व्यक्ति को देखता है और उससे बढ़कर दिखना चाहता है। यह स्वभाव तो मानो आम ही है मगर इससे हानि ही होती है।
जैसे कोई गरीब एक अमीर व्यक्ति की नकल करना चाहे बताइए यह कैसी मूर्खता है।
कौआ चला हंस की चाल से वाक्य
वाक्य – अक्षय कुमार के जैसे दिखने के चक्कर में तुमने कपड़े तो सिला लिया मगर लग पूरे राजपाल यादव रहे हो. आखिर कौआ चला हंस की चाल
वाक्य – रमेश कुछ दिन विदेश क्या रह कर आया उसके तो तौर-तरीके ही बदल गए, इसे कहते हैं कौआ चला हंस की चाल
वाक्य – पड़ोस में किसी ने नई गाड़ी खरीदी थी मगर यह देख हमारा पंकज भी लोन पर गाड़ी खरीद लाया, कौआ चला हंस की चाल
वाक्य – रामा ने उमा जैसे कपड़े पहने, यह तो वही बात हो गई कौवा चला हंस की चाल