नीम हकीम खतरे जान लोकोक्ति का सही अर्थ – नीम हकीम ख़तरा-ए-जान

नीम हकीम खतरे जान लोकोक्ति का अर्थ (neem hakim khatre jaan ka arth) –

  • अल्प विद्या भयंकर
  • अल्पज्ञ से सदा खतरे की संभावना होती है

नीम हकीम खतरे जान कहावत को सही से समझें

‘नीम हकीम खतरे जान’ या ‘नीम हकीम खतरा-ए-जान’ का अर्थ होता है अल्पज्ञ से सदा खतरे की संभावना होना। 

जो इंसान अल्पज्ञ होता है, जिसके पास कम ज्ञान है, गलत ज्ञान है, अधूरा ज्ञान है ऐसे व्यक्ति से यदि आप काम लेंगे तो आपको हानि ही होगी। इस कहावत का इस्तेमाल किसी वैद्य, डॉक्टर के साथ ही ज्यादा होता है.

वैसे तो “नीम” एक वनस्पति होती है लेकिन इस कहावत में “नीम” का अर्थ – आधा अधूरा य थोड़ा है और हकीम से तात्पर्य वैद्य, डॉक्टर से है। प्राचीन काल में जब एलोपैथी नहीं था तब लोग इलाज के लिए किसी वैद्य के पास ही जाते थे।

“नीम हकीम” का अर्थ हुआ वह वैद्य जिसे अपने विषय का अधूरा ज्ञान है।

“खतरा-ए-जान” का अर्थ – खतरा होना।

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ऐसे डॉक्टर या वैद्य जिसे बीमारी और उसके इलाज का ज्ञान ना हो या कम ज्ञान हो तो यह हमारे लिए खतरा भी बन सकता है। ऐसे वैद्य से इलाज कराने में जान का खतरा भी हो सकता है

उदाहरण – एक कैंसर का मरीज था जिसे डॉक्टर ने तुरंत ऑपरेशन की सलाह दी थी मगर वो किसी झोलाछाप रोड पर बैठने वाले हकीम के पास चला गया और वहां से एक पुड़िया ले आया। यह पुड़िया वह कुछ दिन तक ग्रहण करता रहा और कुछ दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई।

इसलिए कहा गया है नीम हकीम खतरे जान।आप भी झोलाछाप डॉक्टरों से बचकर रहिए।

इसके समान English में कहावत होगी – “Better go without medicine than call an unskillful physician”

नीम हकीम खतरे जान कहावत का वाक्य 

वाक्य – रामपुर गांव के एक झोलाछाप डॉक्टर ने एक बीमार व्यक्ति को गलत इंजेक्शन लगा दिया जिससे वह मर गया। सच्च ही कहा है “नीम हकीम खतरे जान”।

वाक्य – पंकज को सांप ने काट लिया। सरकारी अस्पताल जाने के बदले वह झाड़-फूंक करने वाले के पास चला गया और मर गया इसलिए कहा गया है “नीम हकीम खतरे जान”।