कबीर दास की उल्टी वाणी बरसे कंबल भीगे पानी का सही अर्थ क्या है

Meaning
कबीर दास की उल्टी वाणी बरसे कंबल भीगे पानी का अर्थ (kabirdas ki ulti vaani barse kambal bheege pani ka arth) – उल्टी बात कहना

यह कबीर दास की उलट वासिया है जहां कहावत एकदम उल्टा-पुल्टा होता है।

इस कहावत का अर्थ है कि जब भक्ति रूपी कंबल बरसते हैं अर्थात मानव में भक्ति के संस्कार उदय होते हैं तब मानव पानी में भीग जाता है अर्थात भक्ति के आनंद में भीग जाता, डूब जाता है ।

सच्चा आनंद भक्ति का ही है, संसार का सुख तुच्छ, नश्वर और अल्पायु का है ।