मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

Meaning
मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक मुहावरे का अर्थ (mulla ki dor masjid tak muhavare ka meaning) – मनुष्य वही तक जा सकता है जहां तक उसकी पहुंच होती है

मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक मुहावरे का अर्थ आसान भाषा में 

मुल्ला एक ऐसा व्यक्ति होता है जो इस्लाम धर्म के धर्म शास्त्र कुरान को जानने व समझने वाला होता है. 

जिस प्रकार पुजारी मंदिर में रहता है अथवा काम करता है उसी प्रकार एक मुल्ला मस्जिद में रहता व कार्यरत रहता है. उसका किसी मस्जिद के अतिरिक्त और कोई स्थान उपयोगी नहीं है. 

यदि कोई पूछे कि मुल्ला जी कहां मिलेंगे तो स्वाभाविक है कि वह एक मस्जिद में ही मिलेंगे तभी ‘मुल्ला की दौड़ मस्जिद’ तक मुहावरे का प्रयोग किया जाता है

“मुल्ला” शब्द के जगह “मियां” शब्द का प्रयोग भी इस मुहावरे में किया जा सकता है

मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

वाक्य प्रयोग – रमेश हर बार घर छोड़ने की धमकी देता है और वह हर बार मामा के घर पकड़ा जाता है. आखिर कहां तक भागेगा क्योंकि मुल्ला की दौड़ तो मस्जिद तक ही होती है

वाक्य प्रयोग – श्याम हर बार पिट कर छत पर चला जाता है आखिर मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक की होती है

वाक्य प्रयोग – बंदर कुत्ते को देखकर पेड़ पर चढ़ जाता है. इसे कहते हैं मियां की दौड़ मस्जिद तक.

वाक्य प्रयोग – रमेश जब भी दुखी होता है वह सरोवर चला जाता है आखिर मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक की होती है