यथा राजा तथा प्रजा कहावत का क्या अर्थ है व वाक्य meaning in hindi

Meaning
यथा राजा तथा प्रजा लोकोक्ति का अर्थ (yatha raja tatha praja ka arth) – जैसा स्वामी वैसा सेवक

यथा राजा तथा प्रजा कहावत को समझें

यह एक संस्कृत की कहावत है। इस लोकोक्ति का अर्थ है देश का राजा जैसा होगा वैसे ही उसकी प्रजा और अधिकारी होंगे। 

अगर राजा धर्मात्मा है तो प्रजा में भी धर्मात्मा होने का कुछ गुण छुपा होगा। वही जब राजा दंभी और लालची हो तब मंत्री चाटुकार होते हैं जो सदा राजा की हर बात पर हां में हां मिलाते हैं तथा प्रशंसा करते हैं। 

आज के संदर्भ में राजा को प्रधानमंत्री या किसी ऑफिस, विभाग के उच्च अधिकारी के रूप में देखा जा सकता है।

इस कहावत का उल्टा – “जैसी प्रजा वैसा राजा” भी काफी हद तक ठीक ही है क्योंकि किसी देश का प्रधानमंत्री प्रजा से ही चुनकर आता है।

यथा राजा तथा प्रजा का वाक्य प्रयोग

वाक्य – हमारे दफ्तर का उच्च अधिकारी खुद ही घूसखोर है तो फिर निचले पद के अधिकारियों से क्या उम्मीद करें। ‘यथा राजा, तथा प्रजा’।

वाक्य – जब से इमरान खान पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बना है तब से पाकिस्तान में कट्टरवाद कुछ ज्यादा ही बड़ा है। सच है ‘यथा राजा तथा प्रजा’।

वाक्य – जब से मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं देश में राष्ट्रवाद की लहर उठने लगी है। शायद इसीलिए किसी ने कहा है ‘यथा राजा, तथा प्रजा’।

वाक्य – हमारे घर का मुखिया बहुत बड़ा दानी है और उन्हें देख घर के बच्चों में भी दान करने की प्रवृत्ति आ गई है। ‘यथा राजा, तथा प्रजा।