उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई का अर्थ समझे
यहां एक कहावत है और कहावत-मुहावरों में अंतर होता है
मानव एक स्वाभिमानी जीव होता है. वह जानवरों की तरह कुछ भी करता नहीं फिरता है. हम मनुष्यों के लिए हर चीज की एक मर्यादा होती है. सब इज्जत का जीवन जीते हैं और जीना चाहते हैं.
लेकिन एक बार यह इज्जत चली जाए फिर बिना इज्जत का व्यक्ति या तो बेपरवाह हो जाता है या तो शर्मसार.
शर्मसार व्यक्ति कहीं भी मुंह दिखाने से डरता है मगर बेपरवाह व्यक्ति जिसे किसी चीज की शर्म नहीं वह तो कुछ करने या बोलने से कभी नहीं डरता. इज्जत हीन व्यक्ति बड़ा खतरनाक भी होता है वह समाज में दूसरों के लिए अपयश का कारण भी बन सकता है.
इसलिए इस लोकोक्ति का अर्थ होता है कि बेशर्म का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता
उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई का वाक्य प्रयोग
वाक्य – रमेश पहले पिताजी के सामने गाली नहीं देता था परंतु कुछ दिन पहले अपने छोटे भाई से लड़ाई में उसने पिताजी के सामने भी गाली दे दी।अब वह पिताजी के सामने भी गाली देने से नहीं शरमाता।किसी ने सच ही कहा है ‘उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई’।
वाक्य – जबसे राकेश ने पढ़ाई छोड़कर दुकान खोली है परिवार में कईयों ने उससे बात करना छोड़ दी।अब उसने आवारागर्दी भी शुरू कर दी है आखिर “उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई”।
वाक्य – जब से उसका विवाह टूटा है।उसने तो दूसरी लड़कियों के साथ आवारागर्दी भी शुरू कर दी. जब उतर गई हो तो क्या करें कोई।