अंधेरे घर का उजाला पर टिप्पणी
हमारे भारत देश में ऐसी रीत बन गई है कि बेटा घर का दीपक होता है, पुत्र की कामना तो सभी को होती है और जिस घर पुत्र नहीं जन्मता वहां घर की गृहणी को कोसा जाता है।
बेटा ही मां-बाप का बुढ़ापे में साथ देता है वही बेटी तो भ्याह कर दूसरे घर चली जाती है। एक अंधकार से भरे कमरे में सिर्फ एक दीपक की जरूरत है उजाले के लिए उसी प्रकार परिवार में बस एक बेटे की जरूरत है सहारे के लिए।
अंधेरे घर का उजाले का वाक्य प्रयोग
वाक्य – चाचा के लड़के के निधन हो जाने के बाद अब रमेश ही पूरे परिवार में अंधेरे घर का उजाला है।
वाक्य – धन्ना सेठ के घर का इकलौता वारिस संजय के देहांत के बाद अब कौन उनके अंधेरे घर का उजाला बनेगा।
वाक्य – कई वर्षों के पश्चात रमेश के अंधेरे घर का चिराग जन्मा है।
वाक्य – आजकल तो जैसे रीत चल गई है एक बेटा या बेटी करने की। अंधेरे घर का उजाला।
वाक्य – पड़ोस के परिवार का अंधेरे घर का उजाला देश के नाम शहीद हो गया।