आँख के अंधे, नाम नयनसुख पर टिप्पणी
यह लोकोक्ति(कहावत) है ना कि मुहावरा।
संसार में नाम की महिमा है। हम किसी व्यक्ति को नाम से ही जानते पहचानते हैं। किसी व्यक्ति के गुण पर यदि नाम रखा जाए तो अति उत्तम है। कभी-कभी व्यक्ति का नाम उसके व्यक्तित्व से मेल नहीं खाता।
ऐसा व्यक्ति जिसके नाम के अनुरूप व्यक्तित्व ना हो वह कभी-कभी समाज में हास्य विनोद का पात्र बन जाता है। जैसे माननीय कोई बलवान पुरुष हो मगर नाम ‘शीतल’ हो। सामान्य लोग सोचेंगे यह कैसा स्त्री जैसा नाम है, कुछ लोगों की तो नाम सुनकर ही हंसी छूट जाएगी।
आँख के अंधे, नाम नयनसुख का वाक्य प्रयोग
वाक्य – नाम तो उसका सुखीराम है पर जब देखो दुखी ही रहता है। यह तो वही बात हो गई आंख का अंधा, नाम नयनसुख।
वाक्य – तुम्हारा नाम प्रह्लाद(prahlad) है लेकिन हो पूरे नास्तिक, तुम्हारे लिए यह कहावत “आंख का अंधा नाम नयनसुख” बनी है।
वाक्य – वह बस में सफर करता है मगर नाम हमें अपना प्रिंस बताता है, आंख का अंधा नाम नयनसुख।