जो गरजते हैं वो बरसते नहीं लोकोक्ति का क्या अर्थ है और वाक्य

Meaning
जो गरजते हैं वो बरसते नहीं लोकोक्ति का अर्थ (jo garajte he wo baraste nahi ka arth) – जो बड़ी-बड़ी बातें करते हैं वे काम काम करते हैं

जो गरजते हैं वो बरसते नहीं का अर्थ समझे

यह एक कहावत है और मुहावरे से अलग है। इसका अर्थ है जो व्यक्ति बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, जो डींगे मारते हैं परंतु जब कर्म करने की बारी आती है तो ऐसे व्यक्ति कर्महीन बन जाते हैं।

हमारे और आपके जीवन में ऐसे कई व्यक्ति देखने को मिलेंगे जो ऐसे ही होगी।

याद करें उस दोस्त को जो अपने जन्मदिन पर पार्टी करने की बड़ी-बड़ी बातें करता है – जैसे महंगे रेस्टोरेंट में जाने की, या बड़े मॉल में मूवी देखने की लेकिन जब समय आता है तब ₹200 का पिज़्ज़ा खिलाकर काम रफा दफा कर देते हैं। ऐसे व्यक्तियों के लिए ही यह कहावत “जो गरजते हैं वो बरसते नहीं” कही जाती है।

दूसरा उदाहरण जब दो व्यक्ति की लड़ाई होती है तब कोई एक धमकी देते हुए कहता है कि गुंडे बुला दूंगा, पुलिस में पहुंचा दूंगा, वगैरा-वगैरा मगर बाद में पता चलता है कि वह तो खाली डींगे मार रहा था।

जो गरजते हैं वो बरसते नहीं का वाक्य प्रयोग

वाक्य – पंकज तो बोला करता था कि वह अपने व्यापार से जल्द ही अमीर बन जाएगा मगर वह सिर्फ दस हज़ार ही कमा पाता है। किसी ने ठीक कहा है – “जो गरजते हैं वो बरसते नहीं”।

वाक्य – दुर्बल शरीर के सुरेश ने लालू पहलवान को चुनौती देते हुए बड़ी बड़ी बातें सुनाई, पहलवान बोला “जो गरजते हैं वो बरसते नहीं”। 

वाक्य – पंडित जी दान की बड़ी महिमा गाते हैं लेकिन खुद कभी दान नहीं करते सच है जो गरजते हैं वो बरसते नहीं।

वाक्य – कुत्तों को भौकता देख रमेश भयभीत हो गया तब सुरेश बोला “डरो मत और आराम से चलते रहो क्योंकि जो गरजते हैं वो बरसते नहीं”।

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