चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात कहावत पर टिप्पणी
यह बड़ा प्रचलित और सामान्य भाषा में प्रयोग होने वाला कहावत है जिसका मतलब है खुशियां का स्थाई होना अतः सुख के दिन ज्यादा दिन नहीं टिकते। यह कहावत जीवन का सत्य है, कैसा भी सुख हो छोटा या बड़ा एक न एक दिन जरूर समाप्त हो जाता है।
उदाहरण के लिए पढ़ने वाले छात्र जब गर्मियों की छुट्टी आती है तो बड़े प्रसन्न होते हैं मगर हम जानते हैं कि यह छुट्टी 1-2 महीने में खत्म हो जाएंगे तब यह छात्र क्या करेंगे।
चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात का वाक्य प्रयोग
वाक्य – नया विवाहित जीवन तो ऐसा होता है जैसे चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात।
वाक्य – उसकी लॉटरी क्या लगी वह तो हवा में उड़ने लगा, उसे क्या पता है कि यह पैसा भी एक दिन समाप्त हो जाएगा, आखिर चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात।
वाक्य – बड़े बुजुर्ग कह गए हैं सुख-दुख में एक समान रहने को क्योंकि चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात।
वाक्य – अरे भाई आज जी भर कर नाच लेने दो कल तो वैसे भी अपना सामान्य जीवन शुरू हो जाएगा, आखिर चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात।