दूर के ढोल सुहावने कहावत का क्या अर्थ है, वाक्य

Meaning
दूर के ढोल सुहावने का अर्थ (door ke dhol suhavne ka arth) – दूर से सभी वस्तु या व्यक्ति अच्छी लगती है

दूर के ढोल सुहावने कहावत पर टिप्पणी

इसका शाब्दिक अर्थ है कि यदि ढोल हमारे पास में बजे तो उसकी तेज आवाज हमे शोर जैसा लगता है अतः अच्छा नहीं लगती, वही अगर कहीं दूर पर ढोल बज रहा हो तो हमें लगता है की पास में उत्सव हो रहा है या शादी की बारात निकल रही है इससे हमारा मन हर्षित और प्रसन्ना होता है।

अतः पास में ढोल बज कर दुख देता है वही दूर से ढोल बज कर सुख देता है।

उसी प्रकार हमें जो वस्तु प्राप्त नहीं है, जो व्यक्ति से संबंध नहीं है, आदि हमें आकर्षक और अच्छी लगती है पर यदि वही व्यक्ति या वस्तु प्राप्त हो  जाए तो फीकी लगती है।

उदाहरण – गांव में रहने वालों को शहर का जीवन आकर्षक लगता है मगर जब वह शहरों में रहने आते हैं तब प्रदूषण, महंगाई,महंगी वस्तुएं, और समाज का रहन-सहन देख सोचते हैं कि इससे अच्छा तो हमारा गांव ही था।

दूर के ढोल सुहावने का वाक्य प्रयोग(sentence)

वाक्य – शादी का सुख ऐसे है जैसे दूर के ढोल सुहावने, शादी ना हो तो परेशान हो तो परेशान

वाक्य – राकेश पहले कहता था एक बार पुलिस में भर्ती हो जाऊं फिर जीवन संवर जाएगा मगर अब दिन-रात काम कर दुखी रहता है, इसे कहते हैं दूर के ढोल सुहावने

वाक्य – सुना था नागपाल के छोले-भटूरे बड़े स्वादिष्ट होते हैं मगर आज खाकर पता चल गया है कि दूर के ढोल सुहावने होते हैं

वाक्य – मेरठ की मशहूर नानखटाई खाकर रमेश बोला दूर के ढोल सुहावने होते है