सब धान बाईस पसेरी लोकोक्ति का क्या अर्थ है और वाक्य में प्रयोग

Meaning
सब धान बाईस पसेरी का अर्थ (sab dhan bais paseri ka arth) – सबके साथ एक समान व्यवहार करना, अच्छा-बुरा सब को एक समझना

सब धान बाईस पसेरी पर टिप्पणी

पहले इस लोकोक्ति का शाब्दिक अर्थ जानिए

धान – चावल, गेहूं
पसेरी – प्राचीन काल में तोलने का मापदंड

सब धान बाईस पसेरी का शाब्दिक अर्थ है खेती से पाई गई धान 22 पसेरी के बराबर है

अब इसका असली मतलब जानिए – जिस प्रकार धान की quality मैं भेद होता है और हर प्रकार की धान का अलग-अलग मोल होता है परंतु जब कोई व्यक्ति कहे कि सब धान 22 पसेरी के बराबर है तो ऐसा व्यक्ति सब चीज को एक समान देखता है

उसी प्रकार जो व्यक्ति सब के साथ एक समान सा व्यवहार करता है फिर चाहे कोई बड़ा हो या छोटा, कोई अच्छा हो या बुरा उस व्यक्ति के लिए यह लोकोक्ति का प्रयोग होता है

इस का समानार्थी मुहावरा है एक लाठी से सबको हांकना 

सब धान बाईस पसेरी का वाक्य

वाक्य – धन्ना सेठ बहुत बड़ा महात्मा है, वह सभी नौकरों को सब धान बाईस पसेरी तोलता है।

वाक्य – जो व्यक्ति सबको सब धान बाईस पसेरी तोल सकता है असल मायने में वही महात्मा है

वाक्य – अध्यापक जी भी ना सब छात्रों को डांट कर सब धान बाईस पसेरी तोलते हैं

वाक्य – रमेश ना तो बड़ा आदमी देखता है और ना ही छोटा सब से बहस करने लगता लगता है, वह सबको सब धान बाईस पसेरी समझता है