का वर्षा जब कृषि सुखाने लोकोक्ति का अर्थ, वाक्य, निबंध in hindi

Meaning
का वर्षा जब कृषि सुखाने (ka varsha jab krishi sukhane) – समय निकल जाने पर मदद बेकार है

का वर्षा जब कृषि सुखाने कहावत को समझें

इस कहावत का अर्थ है समय के निकल जाने पर सहायता व्यर्थ है या काम के बिगड़ जाने पर सहायता व्यर्थ है।

इसे हम एक किसान के उदाहरण से समझें तो खेत में पानी की समय-समय पर जरूरत होती है। अगर समय रहते पानी का व्यवस्था ना हो या बरसात ना हो तब फसल नष्ट हो जाती है फिर वर्षा होने का कोई फायदा नहीं।

यह कहावत तुलसीदास की लिखी रामचरितमानस के दोहे में भी आया है

“का वर्षा जब कृषि सुखाने, 
समय चूकि पुनि का पछिताने”

इस दोहे का अर्थ है जो व्यक्ति समय के महत्व को समझता है वही जीवन में सफल होता है। हर काम को करने का समय होता है। समय बीत जाने पर कार्य करने से भी कोई लाभ नहीं होता। जो व्यक्ति आलस में अपने कार्य को टालता रहता है उसका भविष्य अंधकारमय हो जाता है।

का वर्षा जब कृषि सुखाने वाक्य प्रयोग

वाक्य – उसे गर्दन में गठिया हुआ। एक साल से इलाज नहीं कराया। अब दर्द काफी बढ़ने के बाद वह डॉक्टरों का चक्कर लगा रहा है। “का वर्षा जब कृषि सुखाने”।

वाक्य – पूरे साल तुमने पढ़ाई नहीं किया और अब फेल होने के कगार पर हो। किसी ने तुम्हारे लिए ही कहा है “का वर्षा जब कृषि सुखाने”।

का वर्षा जब कृषि सुखाने निबंध