अधजल गगरी छलकत जाए लोकोक्ति का अर्थ, वाक्य, कहानी, निबंध in hindi

Meaning
अधजल गगरी छलकत जाए लोकोक्ति का अर्थ (adhjal gagri chalkat jaye ka arth) – जिसमें ज्ञान कम होता है वह दिखावा अधिक करता है

अधजल गगरी छलकत जाए कहावत को समझे

यह कहावत है और हर कहावत के पीछे कहानी होती है। 

जिस व्यक्ति को किसी विषय में ज्ञान कम हो लेकिन वह उसका ऐसे बखान करें जैसे वह उस विषय का बहुत बड़ा पंडित हो तब इस कहावत “अधजल गगरी छलकत जाए” का प्रयोग होता है।

अक्सर देखा गया है कि जो पूर्ण विद्वान होता है वह हर प्रश्न का उत्तर सोच समझ कर देता है। वही अज्ञानी बिना सोचे समझे अपने ज्ञान का ढोंग करता हुआ बहुत बकबक करता है अतः दिखावा करता है।

ज्ञानी शोर कम करता है, बेवजह बकवास नहीं करता व अपने ज्ञान की तारीफ नहीं करता जबकि अज्ञानी सब कार्य विपरीत करता है।

वैसे यह कहावत पूर्ण नहीं है. पूर्ण कहावत है

“अधजल गगरी छलकत जाए, 
पूरी गगरिया चुपके जाए”

अधजल गगरी छलकत जाय का शाब्दिक अर्थ – आधा भरा घड़ा आवाज करता है।

पूरी गगरिया चुपके जाए का शाब्दिक अर्थ – पूरा भरा घड़ा आवाज नहीं करता।

इसके समान कहावत है “थोथा चना बाजे घना” जिसका अर्थ भी वही है।

अधजल गगरी छलकत जाय का वाक्य प्रयोग

वाक्य – सरिता है नौकर लेकिन व्यवहार अवसर की तरह करती है। इसे कहते हैं अधजल गगरी छलकत जाए।

वाक्य – जबसे सुशीला का पति हवलदार बना है तब से वह बहुत दंभी हो गई है मानो वह हवलदार नहीं कमिश्नर हो। “अधजल गगरी छलकत जाए”।

वाक्य – पिंकी का बड़बोलापन ऐसा है जैसे अधजल गगरी छलकत जाए।