दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम मुहावरे का सही अर्थ क्या है

Meaning
दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम मुहावरे का अर्थ (duvidha me dono gaye maya mili na ram muhavare ka arth) – एक चीज के पीछे पड़कर दूसरे को भी खो देना

दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम पर टिप्पणी

यह कबीर दास के द्वारा लिखे दोहे का भाग है इसलिए यह आध्यात्मिकता की ओर संकेत करता है। इसका अर्थ है सांसारिक इच्छाओं के पीछे भागना मगर प्रभु को पाने की भी लालसा रखना जिसके परिणाम स्वरूप ना संसार हमारे हाथ आता है और ना ही भगवान।

सांसारिक इच्छाओं के पीछे भाग मानव अपना काफी जीवन नष्ट कर देता है फिर भी उसकी सांसारिक अभिलाषा पूरी नहीं होती और इसी के साथ प्रभु भी उसे नहीं मिलते क्योंकि उसने अपनी बुद्धि प्रभु के तरफ लगाई ही नहीं  और हमेशा सांसारिक अभिलाषा के पीछे भागता रहा।

अंत में ऐसे व्यक्ति के हाथ कुछ नहीं आता ना संसार हाथ में आता है और ना भगवान। दुविधा में मनुष्य यह लोक और परलोक दोनों खो देता है।

दोस्तों भगवान का सुख ही सच्चा सुख है। वह नित्य हैं, सदा हमारे साथ रहने वाला है। वहीं दूसरी और सांसारिक सुख नश्वर है, कुछ समय का है, और कम मात्रा का है इसलिए मैं आपसे यही विनती करूंगा कि आप तीव्रता के साथ अपने प्रभु का नाम जप कीजिए।

 कलयुग केवल नाम अधारा।

दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम पर वाक्य

वाक्य – मैंने सोचा था एक बार 1-2 करोड़ कमा लूं फिर भगवान का भजन करूंगा मगर प्रारब्ध ने मुझे ऐसी बीमारी दी जिससे ना तो मैं पैसा ही कमा पाया और अब ना ही बैठकर भजन कर पाता हूं। मेरे तो दोनों गए माया मिली ना राम।