खोदा पहाड़ निकली चुहिया कहावत पर टिप्पणी
“खोदा पहाड़ निकली चुहिया“ एक लोकोक्ति(कहावत) है ना कि मुहावरा। मुहावरा और कहावत में भिन्नता होती है।
जीवन में कुछ ऐसे पल होते हैं जब हम सोचते हैं कि कोई विशिष्ट(special) कार्य करने से हमें अत्यधिक लाभ होगा मगर फल के रूप में बहुत कम लाभ होता है। इस प्रकार की घटना में यह कहावत प्रयोग में लिया जाता है।
जैसे समझे किसी ने अफवाह फैला दी कि पास में सोने की खदान है किंतु खूब मेहनत कर खोदने पर एक अंगूठी के बराबर सोना ही सिर्फ मिले तब कैसा लगेगा।
खोदा पहाड़ निकली चुहिया का वाक्य प्रयोग (sentence)
वाक्य – पंकज तो बोलता था मार्केटिंग का काम से मैं जल्दी करोड़पति बन जाऊंगा मगर दिन-रात काम करने के बाद भी वह महीने के मात्र दस हजार ही कमा पाया। खोदा पहाड़ निकली चुहिया
वाक्य – पिताजी कहते थे बेटा आईएस बनाऊंगा मगर वह तो आज सब्जी बेचता है, खोदा पहाड़ निकली चुहिया
वाक्य – सुरेश कहता था MBA कर लू फिर मैनेजर बनूंगा, मगर वह एक क्लर्क(clerk) ही बन पाया, इसे कहते हैं खोदा पहाड़ निकला चूहा
वाक्य – सरिता दिन-रात पड़ती है मगर वह अच्छे अंको से उत्तीर्ण नहीं हो पाती इसे कहते हैं खोदा पहाड़ निकली चुहिया