चोर चोर मौसेरे भाई पर टिप्पणी
यह एक कहावत है ना कि मुहावरा। मुहावरे और कहावत में अंतर होता है।
इस मुहावरे में “चोर-चोर” का अर्थ है दो सामान्य स्वभाव अथवा व्यवसाय वाले लोग और “मौसेरे भाई” का अर्थ है कि दोनों एक दूसरे को अपनाते हैं व साथ देते हैं
चोर चोर मौसेरे भाई ही क्यों होते हैं?
आमतौर पर जो घर की लड़की होती हैं वह दूसरे किसी गांव में ब्याती है। इसलिए मासी दूर के गांव में या किसी दूसरे जगह पर रहती है जो कि दूर हो। तब मौसेरे भाई कभी-कभार ही एक दूसरे से मिल पाते हैं।
तथा परिवार में दो भाई हो उनका रिश्ता भले ही दूर का हो फिर भी कुछ ना कुछ समानता तो जरूर होती है उनमें।
वैसे ही चोर कहीं का भी हो चोर तो चोर ही होता है। अब चाहे दो चोर कभी ना एक दूसरे से मिले हो लेकिन उनका स्वभाव एक जैसा होता है तथा तौर-तरीके भी एक जैसे होते हैं।
इसलिए एक चोर दूसरे चोर का ही साथ देता है फिर चाहे दोनों एक दूसरे से कभी ना मिले हो।
चोर चोर मौसेरे भाई का वाक्य में प्रयोग
वाक्य – चाहे भाजपा हो या कांग्रेस आखिर में आम जनता को ही पिसना पड़ता है।सच है “चोर-चोर मौसेरे भाई”।
वाक्य – राकेश और पंकज दोनों वसूली और ब्याज का काम करते हैं।दोनों चोर चोर मौसेरे भाई हैं।
वाक्य – रामू और श्यामू दोनों खाना खाने के मामले में बड़े मूडी हैं। दोनों चोर-चोर मौसेरे भाई हैं।
वाक्य – एक चिलम पीने वाले साधु ने दूसरे चिलम पीने वाले साधु को देख कहा “आइए पधारिए” । तब तीसरे साधु ने कहा “चोर-चोर मौसेरे भाई”।