तेते पाँव पसारिये जेती लंबी सौर लोकोक्ति का आशय
“तेते पाँव पसारिए जेती लंबी सौर” एक कहावत है और कहावतें और मुहावरे में अंतर होता है
इसका अर्थ होता है कि मनुष्य को उपलब्ध संसाधनों के अनुरूप ही कार्य करना चाहिए
इस लोकोक्ति में “पांव पसारने” की बात की है. हम उतना ही पांव पसार सकते हैं अथवा फैला सकते हैं जितना हमारा चादर हो उससे ज्यादा पांव फैलाने का कोई फायदा नहीं.
उसी प्रकार जितना साधन हमें उपलब्ध होगा हम उतना ही उपयोग कर सकते हैं
धन की दृष्टि से यदि आप उपलब्ध धन से ज्यादा खर्च करना चाहेंगे तो यह संभव नहीं है तथा उधार ले आपको हानि ही होगी इसलिए कहा जाता है कि “जितनी आय होती है उतना ही खर्च करना चाहिए”
तेते पाँव पसारिये जेती लंबी सौर का वाक्य (sentence)
वाक्य – बेटा माना कि तुम नौकरी की तैयारी कर रहे हो लेकिन अभी एक तो दो कुछ कमा नहीं रहे ऊपर से खर्च खूब कर रहे हो इसलिए तेते पांव पसारिए जेती लंबी सौर
वाक्य – सेठ को इस महीने ब्याज पर खूब सारा माल खरीदते देख नौकर सेठ को बोला ‘सेठ जी तेते पाँव पसारिए जेती लंबी सौर’
वाक्य – बेटे के विवाह में राकेश ने बेवजह कर्ज ले लिया और अब कर्ज चुकाने के लिए भाभी जी के जेवर गिरवी रख दिए इसलिए किसी ने कहा है “तेते पाँव पसारिए जेती लंबी सौर”
वाक्य – अगर तुम्हें जीवन में शांति से जीना है तो या तो इच्छाएं कम करो या धन ज्यादा. इच्छापूर्ति अपनी कमाई के अनुसार सीमित रखो क्योंकि तेते पाँव पसारिए जेती लंबी सौर