नौ नगद न तेरह उधार कहावत पर टिप्पणी
यह कहावत हमारे मन के लालच पर आधारित है। अक्सर हम अपने पास की वस्तु का निरादर करते हुए दूसरी बहुमूल्य वस्तु पाना चाहते हैं।
इस कहावत के भावार्थ समझें तो नगद(cash) का काम उधारी से अच्छा होता है या हाथ में आए पैसे का मूल्य ज्यादा है ना कि बाद में होने वाले लाभ से।
उदाहरण से समझे तो यदि आप अपना पुराना स्कूटर बेचना चाहते हैं और एक व्यक्ति आज के आज ही नगद(cash) देने को तैयार है मगर दूसरा कहता है कि एक हफ्ते तक निरीक्षण करूंगा और फिर ज्यादा मूल्य दूंगा।
समझदारी इसी में है कि आज कम नगद(cash) लेकर पुराने स्कूटर से अपना रिश्ता छुटाये ना की लालच में आकर एक हफ्ते इंतजार करें क्योंकि दूसरा व्यक्ति जो ज्यादा मूल्य देने को तैयार था वह मुकर भी सकता है और बेमतलब का झंझट कौन ले इंतजार करके।
In English a similar proverb “A Bird in hand is worth Two in the Bush”.
नौ नगद न तेरह उधार का वाक्य प्रयोग (sentence)
वाक्य – सेठ ग्राहक को वापसी भेज देगा दुकान से मगर उधारी कभी नहीं देगा, सच है – नौ नगद न तेरह उधार।
वाक्य – मैं अपना पुराना टीवी आज के आज ही बेचूंगा, ज्यादा पैसे के लालच में मैं कहां खरीदारों को ढूंढता फिरू, नौ नगद न तेरह उधार।
वाक्य – कुत्ते ने मुंह में आई रोटी को हड्डी के लालच में गवा दिया। किसी ने इसलिए कहा है ‘नौ नगद न तेरह उधार’।