लातों के भूत बातों से नहीं मानते पर टिप्पणी
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो प्यार से कभी नहीं मानते, जब घी सीधी उंगली से नहीं निकलती तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है इसलिए ऐसे लोगों से जब तक कठोर भाषा में काम ना लिया जाए वह काम नहीं करते
इस कहावत में यह जरूरी नहीं कि हम हाथापाई व पिटाई करें केवल धमकाना अथवा कठोर भाषा का भी प्रयोग करके हम काम निकलवा सकते हैं
In English similar proverb “Mere words do not suffice when rod is necessary”
लातों के भूत बातों से नहीं मानते का वाक्य (sentence)
वाक्य – जब तक रमेश को दो चार घुसे नहीं मारो वह पढ़ाई नहीं करता, आखिर लातों के भूत बातों से नहीं मानते
वाक्य – पंकज के मना करने पर भी सुरेश अभद्र टिप्पणी कर रहा था तब पंकज बोला “लातों के भूत बातों से नहीं मानते”
वाक्य – कोतवाल के बार-बार आग्रह करने पर जब चोरों ने सच्चाई नहीं बोली तब कोतवाल बोला थर्ड डिग्री(3rd degree) दिया जाए आखिर लातों के भूत बातों से नहीं मानते
वाक्य – मजदूरों से काम कराना है ‘तो लातों के भूत बातों से नहीं मानते’ इस नीति का उपयोग करना होगा वरना काम देरी से होगा