भूखे भजन न होय गोपाला लोकोक्ति(कहावत) का अर्थ व वाक्य

Meaning
भूखे भजन न होय गोपाला का अर्थ (bhukhe bhajan na hoye gopala ka arth) – खाली पेट कुछ नहीं किया जा सकता

भूखे भजन न होय गोपाला पर टिप्पणी

रोटी, कपड़ा और मकान मनुष्य की मौलिक आवश्यकताएं है. 

आज के जमाने में मकान बहुत महंगा हो गया है इसलिए हम रोटी कपड़ा पर आ जाते हैं इतना तो सबको ही चाहिए. एक कदम और आगे चले तो प्राचीन काल में या आज के आदिवासी कपड़ा नहीं पहनते फिर भी रोटी अर्थात भोजन तो हर हाल में चाहिए ही चाहिए.

अन्न तो प्राणी मात्र का आधार है. इसके बिना जीवन संकट में आ सकता है इसलिए कहा गया है भूखे पेट भजन न होय गोपाला अर्थात खाली पेट कोई काम नहीं किया जा सकता

एक रचना है 

“भूखे भजन न होय गोपाला,
यह ले तेरी कंठी माला”

यहां पर लगता है कोई भगवान का भगत भूख के कारण प्रभु से कह रहा हो कि “प्रभु भोजन दो तभी आपकी भक्ति होगी नहीं तो आपकी भक्ति छोड़नी पड़ेगी”

आमतौर पर साधु लोग पैसा नहीं कमाते हैं, काम नहीं करते. यह सिद्धांत है कि साधु भीख मांग कर ही पेट भरता है

भूखे पेट भजन नहीं होता. भूखे पेट भगवान के भजन में ध्यान नहीं लगता

भूखे भजन न होय गोपाला पर वाक्य

वाक्य – बीजेपी का सब काम तो अच्छा ही है बस बेरोजगारी पर भी थोड़ा ध्यान दें क्योंकि कहा गया है भूखे भजन न होय गोपाला

वाक्य – अभी पेट में चूहे कूद रहे हैं, अभी मुझसे काम नहीं होगा आखिर ‘भूखे भजन न होय गोपाला’

वाक्य – ठंड में भूख ज्यादा लगती है मां इसलिए फटाफट खाना दो. कोई कहे गया है भूखे भजन न होय गोपाला

वाक्य – तुम खाने पीने पर ध्यान नहीं देते इसलिए दिन पर दिन दुबले होते जा रहे हो. कोई कहे गया है ‘भूखे भजन न होय गोपाला’

वाक्य – साधु बोला अलख निरंजन. तब रामू बोला क्या है? साधु बोला भूखे भजन न होय गोपाला देदे दो चार निवाला.