बिन पेंदी का लोटा पर टिप्पणी
यह मुहावरा उन लोगों पर प्रयोग किया जाता है जो लाभ-हानी अथवा किसी भी कारण से अपने मूल्यों व सिद्धांतों को त्याग देते हो अतः ऐसा व्यक्ति अपने मूल्यों पर स्थिर नहीं रहता।
‘पेंदी’ शब्द का अर्थ होता है – आधार, बर्तन का निचला भाग (base)
इस मुहावरे मैं पेंदी से तात्पर्य लौटे का निचला हिस्सा है जिसके सहारे लौटा सीधा रखा जा सकता है।यदि यह हिस्सा अगर कमजोर हो, उसकी बनावट में गड़बड़ हो तो लोटा लुढ़कने लगेगा। ऐसा लौटा किसी काम का नहीं क्योंकि उसमें रखा जल भी गिरने लगेगा।
यह मुहावरा सबसे अच्छा नवजोत सिंह सिद्धू पर चरितार्थ होता है जो की कुछ वर्षों पहले बीजेपी मे थे और फिर कांग्रेस में आ गए। पहले वह मोदी की तारीफ और मनमोहन सिंह पर तंज कसते थे मगर अब विपरीत कार्य करते हैं। इस कारण से उनकी समाज में हंसी भी उड़ी और वह निंदा के पात्र भी बने।
बिन पेंदी का लोटा का वाक्य
वाक्य – रमेश ने ट्रांसफर लिया मगर आसंतुष्टि के कारण उसने वापस ट्रांसफर ले लिया वह तो बिन पेंदी का लोटा निकला।
वाक्य – राकेश पहले डॉक्टर बनना चाहता था, फिर आईएस मगर अब बैंक की नौकरी के लिए तैयारी कर रहा है। वह तो बिन पेंदी का लोटा है।
वाक्य – सिद्धू पंजाब का मंत्री बनना चाहता है इसलिए वह कांग्रेस में जाकर बिन पेंदी का लोटा बनकर रह गया है।