छाती पर मूंग दलना पर टिप्पणी
“दलना” शब्द का अर्थ पीसना होता है। “छाती पर मूंग दलना” इसका शाब्दिक अर्थ ले तो किसी की छाती पर मूंग को पीसना।
वैसे तो मूंग को चक्की में पीसा जाता है। मूंग अन्य दालों के तुलना में सख्त होती है और चक्की में पीसने पर चक्की के पाटों पर नुकसान होता। छाती से तात्पर्य मानव का मन या हृदय होता है।
इस तरह से छाती पर मूंग दलने मुहावरे का मतलब निकलता है की कष्ट देना। यह मुहावरा अक्सर अपने परिजनों के लिए प्रयोग होता है जो हमें दुख देते हैं अक्सर सास अपनी बहू को कहती है कि यह तो छाती पर मूंग दलती है।
छाती पर मूंग दलना का वाक्य में प्रयोग
वाक्य – शर्मा जी का बेटा इतना बड़ा हो गया है फिर भी उनके साथ ही रहता है पता नहीं वह कब तक छाती पर मूंग दलेगा।
वाक्य – नए पड़ोसी रात भर शोर शराबा करके मेरी छाती पर मूंग दलते हैं।
वाक्य – सुरेश दूसरी बीवी ब्याह कर ले आया अब वह पहली की छाती पर मूंग दलेगी।
वाक्य – सास बहू दोनों रोज झगड़ा करता है और मेरी छाती पर मूंग दलते हैं।