दुखड़ा रोना पर टिप्पणी
हम मनुष्यों के लिए भगवान ने सुख-दुख दोनों ही बनाया है. कोई भी दुख से नहीं बच्च सकता. किसी के जीवन में दुख ज्यादा होता है तो किसी के जीवन में कम जिसके जीवन में दुख ज्यादा होता है तो कभी-कभी वह दूसरों के सामने अपने दुखों का बखान करता है और इसी को “दुखड़ा रोना” कहते हैं
दुखड़ा रोना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग
वाक्य – पिता जी के आते ही हमारे संजय चाचा ने अपना दुखड़ा रोना शुरू कर दिया
वाक्य – मोहन यू दुखड़ा रोने से कोई लाभ नहीं जो जैसा करता है वैसा भरता है
वाक्य – पंडित जी ने जैसे ही शिवम से पूछा क्या काम करते हो तो वह अपने बीमारियों का दुखड़ा रोना शुरू हो गया
वाक्य – पति के मर जाने से सरिता अपनी मां के घर दुखड़ा रोने चली गई
वाक्य – जब से उसे कैंसर हुआ है वह सबके सामने अपना दुखड़ा रोता रहता है