पढ़े लिखे को फारसी क्या का अर्थ (padhe likhe ko farsi kya ka arth) – ज्ञानी मनुष्य के लिए कुछ भी कठिन नहीं होता
हाथ कंगन को आरसी क्या कहावत टिप्पणी
“हाथ कंगन को आरसी क्या” एक प्राचीन कहावत है जिसमें “आरसी” शब्द का मतलब एक विशेष प्रकार का शीशा है जो पहले के जमाने में स्त्रियां अपने अंगूठे में पहनती थी अपना चेहरा देखने के लिए।
यदि आपने हाथ में कंगन पहन रखा है तो निश्चय ही आप उसे देख सकते हैं और इसके लिए शीशे की आवश्यकता नहीं है अर्थात प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती और यही इस कहावत का अर्थ भी है।
दूसरी कहावत “पढ़े लिखे को फारसी क्या” यह मुगल शासन में बनी कहावत है। उस जमाने में जब मुग़ल भारत आए तो वह अपने साथ फारसी भाषा भी लेकर आए थे, यह भाषा सीखने में बड़ी कठिन थी।मगर भारत के पढ़े-लिखे लोग यह भाषा सीख लेते थे इसलिए “पढ़े लिखे को फारसी क्या” मतलब जो पढ़ा लिखा है वह तो फारसी भाषा जानता ही होगा, आज के संदर्भ में इसका मतलब होता है कि बुद्धिमान मनुष्य के लिए कोई काम कठिन नहीं है।
हाथ कंगन को आरसी क्या वाक्य प्रयोग
वाक्य – सरिता बहुत सुरीला भजन गाती है। हाथ कंगन को आरसी क्या।
वाक्य – चोरी के आरोप में रमेश को जब पुलिस पकड़ने आए तब वह निर्भय होकर बोला “हाथ कंगन को आरसी क्या”।
वाक्य – तुम हमारी दुकान से अनाज ले कर तो देखो, इसकी गुणवत्ता स्वय पता चल जाएगी। आखिर हाथ कंगन को आरसी क्या।