बुढ़ापे की लाठी होना का अर्थ बताइए
जीवन के तीन चरण होते हैं – बचपन, जवानी, और बुढ़ापा। दो अवस्था बचपन और बढ़ावा दोनों में सहारे की आवश्यकता होती है। बालक के लिए मां-बाप सहारा होते हैं और किसी बूढ़े व्यक्ति का सहारा उसके बच्चे होते हैं।
बुढ़ापे में जब शरीर बेकार होने लगता है तब अक्सर कई बूढ़े लोग लाठी लेकर चलते हैं सहारे के लिए। उसी प्रकार बच्चे बुढ़ापे मैं लाठी के समान सहारे का काम आते हैं।
इसी मुहावरे से मिलता-जुलता मुहावरा है ‘अंधे की लाठी’।
बुढ़ापे की लाठी होना का वाक्य
वाक्य – बेटा तू ही अब मेरे बुढ़ापे की लाठी है।
वाक्य – रमेश अपने माता-पिता का आज्ञाकारी है इसलिए वहीं उनके बुढ़ापे की लाठी बनेगा।
वाक्य – पंकज अपने पिता का इकलौता था, उसके निधन के बाद पता नहीं कौन अब बुढ़ापे की लाठी बनेगा।