सावन हरे न भादों सूखे का क्या मतलब है और वाक्य प्रयोग

Meaning
सावन हरे न भादों सूखे मुहावरे का अर्थ (sawan hare na bhado sukhe muhavare ka arth) – सदा एक सामान रहना, सदा एक दशा

सावन हरे न भादों सूखे पर टिप्पणी

आलसी व्यक्ति कोई भी काम हो कोई भी तिथि हो वह हर काम से जी चुराता है और सदा आलस्य और प्रमाद में पड़ा रहता है ऐसे आलसी लोगों के लिए ही यह मुहावरा बना है. जो लोग हर परिस्थिति में एक समान रहते हैं

इसका समानार्थी मुहावरा है ढाक के तीन पात होना

इस मुहावरे का प्रयोग में किसी की आदत और व्यवहार को बताने के लिए करते है जैसे कोई काम से आलसी , किसी में कोई बदलाव नहीं वह हमेशा से एक स्थिति में रहे |  

सावन हरे न भादों सूखे का वाक्य प्रयोग (sentence)

वाक्य – संजय ने अपने दोस्त से पूछा कि तुम कैसे हो? दोस्त हंसकर बोला सावन हरे न भादो सूखे 

वाक्य – जो सुख दुख में एक समान रहते हैं जिनके लिए न सावन हरे न भादो सूखे असल में वही योगी है

वाक्य – रमेश इतना बड़ा हो गया लेकिन उसे अभी तक किसी से बात करने का ढंग नहीं आया न सावन हरे न भादो सूखे

वाक्य – मेरी बीमारी 1 साल से वैसी की वैसी ही है सावन हरे न भादो सुख है